Ram Kya hai? आओ जाने इस वायरल वीडियो की कविता से

Ram Kya hai?: 22 January 2024 को Ayodhya में Ram Mandir के भव्य अभिषेक समारोह में कुछ ही दिन बचे हैं, इस बीच “भगवान राम” के बारे में एक कविता इन दिनों इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही है।

Abhijeet Balkrishna Munde द्वारा लिखित और उच्चारित, जो मराठवाड़ा महाराष्ट्र के “अंबाजोगाई” नामक गाँव से हैं, यह कविता आत्मविश्लेषणात्मक है, जो आपको अपने विचारों और भावनाओं को लेकर सोचने पर मजबूर करती है।

अभिजीत मुंडे का “Psycho Shayar” नाम से अपना Youtube चैनल है जहां वह अपनी लिखी सभी कविताएं साझा करते हैं। कविता में “जय श्री राम” शब्द का वर्णन किया गया है। यह शब्द कई लोगों द्वारा उच्चारित किया गया है लेकिन कुछ ही लोगों द्वारा समझा गया है। यह वर्णन करता है कि “भगवान राम” क्या हैं। उन्होंने क्या कठिनाइयां झेलीं। कविता के हर शब्द का एक अर्थ है।कविता अपनी गहराई, शब्दों के चयन, विराम और अभिनय से आपके रोंगटे खड़े कर देती है जो पूरी तरह से अद्भुत है।

आओ जाने Ram Kya hai?

वीडियो की शुरुआत अभिजीत के एक मोनोलॉग से होती है जो कहता है,

“दस तक गिनूंगा,  Ram लिखते ही, पढ़ते ही, सुनते ही, देखते ही, या दिखते ही, मन में जो पहला विचार आता है उसे बांध कर रखिए, पूछूंगा । एक दो तीन चार पाच  छ: सात आठ नौ नौ नौ”

फिर वह कविता सुनाना शुरू करता है जो इस प्रकार है,

हाथ काट कर रख दूंगा, ये नाम समझ आ जाए तो

कितनी दिक्कत होगी पता है, Ram समझ आ जाए तो

Ram Ram तो कह लोगे पर, राम सा दुख भी सहना होगा

पहली चुनौती ये होगी के, मर्यादा में रहना होगा

और मर्यादा में रहना मतलब कुछ खास नहीं कर जाना है..

बस..

बस त्याग को गले लगाना है और अहंकार जलाना है

अब अपने रामलला के खातिर इतना ना कर पाओगे

अरे शबरी का जूठा खाओगे तो पुरुषोत्तम कहलाओगे

काम क्रोध के भीतर रहकर तुमको शीतल बनाना होगा

बुद्ध भी जिसकी छांव में बैठे वैसा पीपल बनाना होगा

बनना होगा ये सब कुछ और वो भी शून्य में रहकर प्यारे

तब ही तुमको पता चलेगा, थे कितने अद्भुत राम हमारे

सोच रहे हो कौन हूं मै,? चलो.. बता ही देता हूं

तुमने ही तो नाम दिया था, मैं पागल कहलाता हूं

नया नया हूं यहां पे तो ना पहले किसी को देखा है

वैसे तो हूं त्रेता से.. मुझे कृ..किसने कलयुग भेजा है

भई बात वहां तक फैल गई है, की यहां कुछ तो मंगल होने को है

के भरत से भारत हुए राज में, सुना है राम जी आने को हैं

बड़े भाग्यशाली हो तुम सब, नहीं, वहां पे सब यहीं कहते है

के हम तो रामराज में रहते थे, पर इन सब में राम रहते है

यानी तुम सब में राम का अंश छुपा है.?

नहीं मतलब वो, तुम में आते है रहने?

सच है या फिर गलत खबर? गर सच ही है तो क्या कहने

तो सब को Ram पता ही होगा, घर के बड़ों ने बताया होगा..

तो बताओ..

बताओ फिर कि क्या है Ram , बताओ फिर कि क्या है Ram, बताओ…

अरे पता है तुमको क्या है Ram..? या बस हाथ धनुष तर्कश में बाण..

या बन में जिन्होंने किया गुजारा, या फिर कैसे रावण मारा

लक्ष्मण जिनको कहते भैया, जिनकी पत्नी सीता मैया

फिर ये तो हो गई वो ही कहानी, एक था राजा एक थी रानी

क्या सच में तुमको राम पता है, या वो भी आकर हम बताएं?

बड़े दिनों से हूं यहां पर, सबकुछ देख रहा हूं कबसे

प्रभु से मिलने आया था मै, उन्हें छोड़ कर मिला हूं सब से

एक बात कहूं गर बुरा ना मानो, नहीं तुम तुरंत ही क्रोधित हो जाते हो

पूरी बात तो सुनते भी नहीं, सीधे घर पर आ जाते हो

ये तुम लोगों के.. नाम जपो में..

पहले सा आराम नहीं

ये तुम लोगों के.. नाम जपो में..पहले सा आराम नहीं

इस जबरदस्ती के जय श्री राम में सब कुछ है..

बस राम नहीं!

ये राजनीति का दाया बायां जितना मर्ज़ी खेलो तुम

( दाया बायां.. अरे दाया बायां..?

ये तुम्हारी वर्तमान प्रादेशिक भाषा में क्या कहते है उसे..?

हां..

वो..

लेफ्ट एंड राइट)

ये राजनीति का दाया बायां जितना मर्ज़ी खेलो तुम

चेतावनी को लेकिन मेरी अपने जहन में डालो तुम

निजी स्वार्थ के खातिर गर कोई राम नाम को गाता हो

तो खबरदार गर जुर्रत की, और मेरे राम को बांटा तो

भारत भू का कवि हूं मैं, तभी निडर हो कहता हूं

राम है मेरी हर रचना में, मै बजरंग में रहता हूं

भारत की नीव है कविताएं, और सत्य हमारी बातों में

तभी कलम हमारी तीखी और, साहित्य हमारे हाथों में!

तो सोच समझ कर राम कहो तुम, ये बस आतिश का नारा नहीं

जब तक राम हृदय में नहीं, तुम ने राम पुकारा नहीं

राम- कृष्ण की प्रतिभा पर पहले भी खड़े सवाल हुए

ये लंका और ये कुरुक्षेत्र, यूं ही नहीं थे लाल हुए

अरे प्रसन्न हंसना भी है और पल पल रोना भी है राम

सब कुछ पाना भी है और सब पा कर खोना भी है राम

ब्रम्हा जी के कुल से होकर जो जंगल में सोए हो

जो अपनी जीत का हर्ष छोड़ रावण की मौत पे रोए हो

शिव जी जिनकी सेवा खातिर मारूत रूप में आ जाए

शेषनाग खुद लक्ष्मण बनकर जिनके रक्षक हो जाए

और तुम लोभ क्रोध अहंकार छल कपट, सीने से लगा कर सो जाओगे?

तो कैसे भक्त बनोगे उनके? कैसे राम समझ पाओगे?

अघोर क्या है पता नहीं और शिव जी का वरदान चाहिए

ब्रम्हचर्य का इल्म नहीं.. इन्हे भक्त स्वरूप हनुमान चाहिए

भगवा क्या है क्या ही पता लहराना सब को होता है

पर भगवा क्या है वो जाने, जो भगवा ओढ़ के सोता है

राम से मिलना.. राम से मिलना..

राम से मिलना है ना तुमको..?

निश्चित मंदिर जाना होगा! पर उस से पहले भीतर जा संग अपने राम को लाना होगा

जय सिया राम, और हां..

अवधपुरी का उत्सव है

कोई कसर नहीं..

सब खूब मनाना

मेरे प्रभु है आने वाले

रथ को उनके

खूब सजाना

वो..

द्वापर में कोई राह तके है

मुझे उनको लेने जाना है

चलिए तो फिर मिलते है,

हमें भी अयोध्या आना है।

ये वीडियो 25 दिसंबर को अपलोड हुआ था और 01 जनवरी तक इसे सत्ताईस लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं।

देखे पूरा वीडियो यहाँ।

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